हरे कृष्णा। भारत क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में जीत नहीं पाया। इसके बारे में हम भगवद गीता की दृष्टि से क्या देख सकते हैं? तो हम इसे तीन दृष्टिकोण से देख सकते हैं: Factors, Facts और Fortitude।

Factors: भगवद गीता में भगवान कहते हैं कि किसी भी कार्य का यश या अपयश पांच चीजों पर निर्भर होता है। अठारहवें अध्याय के चौदहवें श्लोक में भगवान कहते हैं:
“अधिष्ठानम तथाकार्यं कर्ता करणं जृता।
विविधाश्चेष्टा दैवं चैव त्रपंचमम्॥”

यहां भगवान ने जो कहा, उसका मतलब है कि कार्य के होने का स्थान (अधिष्ठान) और कर्ता (जो काम कर रहा है), इसके अलावा सामग्री (करण) और उपकरण (साधन), चेष्टा (प्रयास) और दैव (भाग्य) का भी प्रभाव होता है।

अब इसे क्रिकेट में देख सकते हैं:

  • अधिष्ठान: यह पिच की स्थिति के समान हो सकता है।

  • कर्त्ता: खिलाड़ी, जो अपनी भूमिका निभाते हैं।

  • करण: क्रिकेट में औजार, जैसे बैट, बॉल, शारीरिक फिटनेस, खेल के उपकरण।

  • चेष्टा: खिलाड़ियों की मेहनत, उनका अभ्यास और कड़ी मेहनत।

  • दैव: भगवान द्वारा निर्धारित या जो कुछ भी हमारे नियंत्रण से बाहर होता है।

फाइनल में भारत का मुकाबला था, तो पिच भारतीय टीम के लिए अनुकूल नहीं था। पिच बहुत धीमा था, जिससे बल्लेबाजों को अपनी क्षमता के अनुसार प्रदर्शन करने में कठिनाई आई। बावजूद इसके, भारतीय खिलाड़ियों ने कड़ी मेहनत की। तो यह पांचवां factor, दैव, हमारे नियंत्रण में नहीं है।

Facts: सत्य यह है कि भले ही भारत को सफलता नहीं मिली, पर भारतीय टीम ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने अच्छे खिलाड़ियों का चयन किया, कड़ी मेहनत की, और अच्छे परिणामों की उम्मीद की। अगर हम रामायण से उदाहरण लें, तो श्रीराम का राज्याभिषेक होने वाला था और वह सबसे योग्य थे, लेकिन मंथरा के प्रभाव से उन्हें वनवास जाना पड़ा। इसी तरह, भारतीय टीम ने अच्छे प्रयास किए, लेकिन भाग्य उनके साथ नहीं था।

हमें यह समझना चाहिए कि यश या अपयश केवल हमारे प्रयासों से नहीं आता, बल्कि बहुत से बाहरी कारण भी होते हैं। भगवान ने भगवद गीता में यही सिखाया है कि हम सिर्फ अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार हैं, न कि उनके परिणामों के।

Fortitude: भगवद गीता में भगवान कहते हैं कि इस संसार में यश और अपयश आते रहते हैं। जब यश आता है, तो हमें बहुत खुश होने की आवश्यकता नहीं है, और जब अपयश आता है, तो हमें दुखी होने की जरूरत नहीं है। भगवान के अनुसार, यह हमारी मेहनत और कार्य से ही नहीं आता, बल्कि इसके अलावा भी अन्य कारण होते हैं।

जैसे श्रीराम का वनवास हुआ, लेकिन अंत में उन्होंने रावण का वध किया और पूरे विश्व का कल्याण किया। इस तरह, जीवन में जो भी समस्याएं आती हैं, वे केवल वर्तमान स्थिति का प्रतिबिंब होती हैं। भविष्य में एक बड़ा उद्देश्य हो सकता है, जो हमें वर्तमान में नहीं दिखता।

इसीलिए हमें हताश होने के बजाय कार्यरत रहना चाहिए। भविष्य में कुछ अच्छा होने की संभावना हमेशा रहती है, और वर्तमान से एक उज्जवल भविष्य की दिशा की ओर हम बढ़ सकते हैं।

हम प्रार्थना करते हैं कि भारत के जो भी दिल टूटी हुई जनता और खिलाड़ी हैं, उन्हें आंतरिक शक्ति मिले, और भगवद गीता के संदेश से सांत्वना मिले, जिससे वे आगे बढ़ सकें।

हरे कृष्णा।