हरे कृष्णा।
रक्षाबंधन एक बहुत ही मधुर और सुंदर उत्सव है जो भारत में मनाया जाता है। इस दिन, बहन अपने भाई के हाथ में राखी बांधती है और भाई अपने बहन से यह वादा करता है कि वह हमेशा उसकी रक्षा करेगा। इस रक्षाबंधन उत्सव के कई उगम की कहानियाँ हैं, लेकिन मैं उन कहानियों के बारे में नहीं बात करूंगा। मैं भगवद गीता की दृष्टि से इस उत्सव के तीन मुख्य सिद्धांतों के बारे में चर्चा करूंगा: रिमाइंडर, रीइनफोर्स, और रीडाइरेक्टर

  1. रिमाइंडर (Reminder):
    आजकल हम एक ऐसे जगत में जी रहे हैं, जहाँ हम बहुत व्यस्त रहते हैं, अर्जित कार्य आते हैं, और कई बार तुच्छ बातें हमारी ध्यान केंद्रित करती हैं। इसके साथ ही मनोरंजन, सोशल मीडिया, और अन्य बाहरी तत्व हमारे मन को विक्षिप्त करते हैं। इस आधुनिक समाज में रिश्तों को सही से महत्व नहीं दिया जाता। खासकर, भाई-बहन का रिश्ता कई बार नजरअंदाज हो जाता है। भक्ति की दिशा में, जैसे हम भगवान का स्मरण करते हैं, वैसे ही बाहरी कीर्तन और समाजिक कृत्य भी हमारे भक्ति में सहायक होते हैं। रक्षाबंधन का अवसर भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने और एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सुरक्षा का एहसास दिलाने का है।

भगवद गीता में भी यह कहा गया है कि हर आकर्षक चीज जो इस भौतिक जगत में है, वह भगवान का ही अंश है। भगवान कहते हैं,
“यद्यद विभूतिमत्सत्वं श्रीमदूर्जितमेव वा।
तत्तदेवावगच्छत्वं ममतेज्योऽंशसंभवम्॥”

यहाँ पर भाई-बहन के बीच का प्रेम और स्नेह भी भगवान की विभूति के रूप में देखा जा सकता है। यह रिश्ते हमें भगवान के साथ हमारे संबंध की याद दिलाते हैं।

  1. रीइनफोर्स (Reinforce):
    जब हम भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और प्रेम महसूस करते हैं, तो यह एक बूंद के समान होता है, और भगवान के प्रेम को हम सागर के समान समझ सकते हैं। जैसा कि श्रीमद्भागवतम के चौथे स्कंध में द्रुव महाराज की कथा में बताया गया है, जब द्रुव महाराज को उनकी मां ने मदद नहीं की, तो उन्होंने भगवान के पास जाने का निश्चय किया। भगवान का प्रेम जीवों के लिए परम सत्य है। इसी तरह, जब हम भाई-बहन के रिश्ते के महत्व को समझते हैं, तो हम न केवल एक-दूसरे के करीब आते हैं, बल्कि भगवान के पास भी जाते हैं।

  2. रीडाइरेक्टर (Redirector):
    प्रभुपाद ने इस्कॉन की स्थापना करते समय यही उद्देश्य रखा था कि हम सभी को एक साथ लाकर भगवान के करीब ले जाएं। रक्षाबंधन का उत्सव हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपने रिश्तों को सही दिशा में मार्गदर्शित करना चाहिए, और यह भी कि हम भगवान के स्नेह और प्रेम के आभारी हों।

यदि हम रक्षाबंधन के इस दिन को भगवद गीता की दृष्टि से देखें, तो यह हमें तीन महत्वपूर्ण सिद्धांतों की याद दिलाता है:

  • रिमाइंडर (Reminder): भगवान और रिश्तों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाना।

  • रीइनफोर्स (Reinforce): हमें रिश्तों में और भगवान के साथ अपने संबंधों में गहरे स्नेह का अनुभव करना।

  • रीडाइरेक्टर (Redirector): हमें अपने जीवन और कार्यों को भगवान के मार्ग में मार्गदर्शित करना।

इस तरह से, रक्षाबंधन केवल एक पारिवारिक उत्सव नहीं, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जिसमें हम अपने रिश्तों और भगवान के साथ अपने संबंधों को फिर से स्थापित करते हैं।

हरे कृष्णा।